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Uniform Civil Code : उत्तराखण्ड विधानसभा में UCC विधेयक पेश, सदन की कार्रवाई 02 बजे तक स्थगित

Uniform Civil Code: UCC Bill introduced in Uttarakhand Assembly, House proceedings adjourned till 2 pm

द लोकतंत्र : Uniform Civil Code गोवा के बाद उत्तराखंड जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन सकता है। बीते 4 फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी दी थी। जिसके बाद आज (6 फरवरी) को इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया। उत्तराखण्ड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के संबंध में कानून पारित करने के लिए 5-8 फरवरी तक विधानसभा का चार-दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया गया है।

Uniform Civil Code पेश, विधायकों ने ‘वंदे मातरम’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में भाजपा विधायकों ने ‘वंदे मातरम’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल पर उत्तराखंड भाजपा विधायक शिव अरोड़ा ने कहा, यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। UCC से बड़ी खुशी क्या हो सकती है? यह लोगों को समान अधिकार देता है। मुख्यमंत्री धामी ने आज इसकी शुरुआत की।

इस दौरान विपक्षी विधायक लगातार हंगामा करते रहे। नेता प्रतिपक्ष ने भी इस पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने कहा कि हमें विधेयक की कॉपी नहीं सौंपी गई। ऐसे में हम यह जानते ही नहीं इसकी बुराई अच्छाई क्या है। हम इसके विरोध में नहीं हैं लेकिन सदन को चलाने का ये तरीका सही नहीं है। हालाँकि समान नागरिक संहिता अध्ययन करने के लिए 2:00 बजे तक सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी गई। लंच के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होगी।

क्या है समान नागरिक संहिता?

संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा। समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी के 400 सीटें जीतने के दावे पर विपक्ष ने कहा – हर किसी को सपने देखने का अधिकार

संविधान निर्माण के बाद से ही समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग उठती रही है। लेकिन, जितनी बार मांग उठी है उतनी ही बार इसका विरोध भी हुआ है। समान नागरिक संहिता के हिमायती यह मानते हैं कि भारतीय संविधान में नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार दिए गए हैं।

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Prajatantra Bharat News Desk

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