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‘ठिठुरन’ में गुजरती हैं सर्द रातें, गरीबों पर ‘भारी’ पड़ रहा ठंड का मौसम

Cold nights pass in the cold, the cold weather is taking its toll on the poor.

द लोकतंत्र : दिसंबर का महिना ढलान पर है और इसी के साथ रातें सर्द होनी शुरू हो चुकी हैं। आर्थिक रूप से सक्षम और सशक्त लोगों के लिए यूं तो हर मौसम सुहावना रहता है। लेकिन दूसरी ओर निम्न वर्ग आर्थिक तंगी और सुविधाओं के अभाव में ठिठुरते हुए अपना जीवन काटते हैं। सर्दी का मौसम गरीब वर्ग के लोगों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है। सर्द रातें आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए बहुत भारी पड़ती हैं।

मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में भारत में ठंड के कारण 2,227 मौतें हुई। यह वह आधिकारिक आँकड़े हैं जिन्हे सरकारी दस्तावेजों में जगह भी मिल गई। ठंड से होने वाले अधिकांश मौतों को दर्ज भी नहीं किया जाता। सुविधाओं के अभाव और मौसम की मार में बहुत से लोग दम तोड़ देते हैं।

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हालांकि, ठंड बढ़ने के साथ राज्य की सरकारी मशीनरी ठंड से बचाव के लिए शेल्टर बनाने, अलाव की व्यवस्था करने जैसे पहल करता है लेकिन यह सबके लिए सुनिश्चित नहीं हो पाता और नाकाफ़ी होता है। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग परिस्थितियों के बीच बहुत से लोग ठंड से अपनी जान गंवा बैठते हैं। दिल्ली सहित उत्तर भारत के राज्यों में रात में पारा दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। सर्द रातों में गरीब ठिठुरते हुए जीवन जीने को मजबूर हैं। जैसे जैसे ठंड बढ़ती जाएगी वैसे वैसे ठंड से मौत के आँकड़े भी बढ़ेंगे।

सरकारी प्रयासों से इतर सामाजिक संगठनों और सक्षम लोगों को मदद के हाथ बढ़ाने होंगे। अपने आस पास के ऐसे लोगों को चिन्हित करें जिनके पास ठंड से बचाव के लिए उपयुक्त गरम कपड़ों और कंबल का अभाव हो। समूह बनाकर ऐसे लोगों का सहयोग करें और उनके लिए गरम कपड़े और कंबल की व्यवस्था करें। यूपी, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में ठंड तेजी से बढ़ रही है ऐसे में यह जरूरी है कि सामाजिक संस्थाएं और सक्षम लोग आगे आकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और जरूरतमंदों की मदद करें।

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Prajatantra Bharat News Desk

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