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BRICS में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच 50 मिनट की बैठक, सीमा पर शांति पर जोर

50 minute meeting between PM Modi and Xi Jinping in BRICS, emphasis on peace on the border

द लोकतंत्र : BRICS में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच 50 मिनट की बैठक, सीमा पर शांति पर जोर भारत और चीन के बीच पिछले कई वर्षों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में एक नया मोड़ आया है। 23 अक्टूबर को रूस में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की। यह बैठक लगभग 50 मिनट तक चली और यह पिछले पाँच सालों में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पहली औपचारिक मुलाकात थी। इस बैठक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह ऐसे समय में हो रही थी जब भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में एक-दूसरे को गश्त करने के अधिकार बहाल करने पर सहमति व्यक्त की है, जो सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के दौरान कहा, ‘सीमा पर सहमति का स्वागत है। मुझे विश्वास है कि हमारी चर्चा रचनात्मक होगी और यह हमारे दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगी।’ उनके इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि भारत-चीन संबंधों में आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी जाएगी।

वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मुलाकात को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘हम दोनों प्राचीन सभ्यताएं और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हमारी मुलाकात न केवल हमारे देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।’

सीमा विवाद के समाधान की ओर बढ़ते कदम

बैठक के दौरान, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त के अधिकार बहाल करने पर सहमति जताई गई। यह निर्णय चार वर्षों से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यह बैठक चार साल से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। इससे पहले, 2019 में महाबलिपुरम में दोनों नेताओं की अनौपचारिक मुलाकात हुई थी, जो पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ से पहले हुई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था और कई सैन्य गतिरोध हुए थे।

हालांकि, इस तनावपूर्ण पृष्ठभूमि के बावजूद, दोनों देशों ने संवाद के द्वार कभी बंद नहीं किए। पिछले साल बाली और इस साल जोहान्सबर्ग में दोनों नेताओं के बीच संक्षिप्त मुलाकातें हुई थीं, लेकिन कज़ान में हुई यह बैठक पहली उचित द्विपक्षीय वार्ता थी, जिसमें सीमा विवाद और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहराई से चर्चा की गई।

इस बैठक को दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस मुलाकात से यह संकेत मिल रहा है कि दोनों देश अब न केवल सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर हैं, बल्कि आपसी व्यापार और सहयोग को भी नए सिरे से बढ़ावा देना चाहते हैं। भारत और चीन के बीच इस बैठक को भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिरता और शांति की दिशा में मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।

Prajatantra Bharat News Desk

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