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DRDO ने अपनी बैलिस्टिक ‘मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम’ का सफल परीक्षण किया

DRDO successfully test fired its Ballistic Missile Defence System

द लोकतंत्र : रक्षा के क्षेत्र में भारत अपनी ताक़त लगातार बढ़ाता जा रहा है। भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम के दूसरे चरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस दौरान 5,000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली शत्रु मिसाइलों से बचाव की देश में ही विकसित क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।

मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि उड़ान परीक्षण के दौरान सभी परीक्षण लक्ष्यों को शत प्रतिशत प्राप्त किया गया जिससे सम्पूर्ण नेटवर्क-केंद्रित युद्ध अस्त्र प्रणाली की पुष्टि हुई। विज्ञप्ति के मुताबिक, मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की सराहना की।

विज्ञप्ति में मंत्रालय ने बताया, मिसाइल का टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर स्थित ‘इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज’ (आईटीआर) में किया गया। मंत्रालय ने कहा, डीआरडीओ ने 24 जुलाई को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे चरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। मंत्रालय के मुताबिक़ टारगेट मिसाइल को अपराह्न चार बजकर 20 मिनट पर एक दुश्मन बैलिस्टिक मिसाइल के प्रारूप के तौर पर लॉन्च किया गया, जिसका भूमि और समुद्र पर तैनात वेपन सिस्टम रडारों द्वारा पता लगा लिया गया और ‘इंटरसेप्टर’ सिस्टम को एक्टिव कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा, दूसरे चरण में एडी एंडो-एटमॉस्फेरिक मिसाइल को अपराह्न चार बजकर 24 मिनट पर चांदीपुर स्थित आईटीआर के एलसी-3 से दागा गया।

भारत का यह सुरक्षा कवच दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को निष्प्रभावी करेगा

मंत्रालय के मुताबिक़ दूसरे चरण की एडी अंतः-वायुमंडलीय मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित दो चरणीय ठोस ईंधन प्रणोदित एवं जमीन से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसका मकसद निम्न बाह्य-वायुमंडलीय क्षेत्रों की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को निष्प्रभावी करना है। विशेषज्ञों ने बताया कि बाह्य-वायुमंडलीय मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल के सबसे ऊपरी क्षेत्र में मिशन पूरा करने में सक्षम हैं जबकि अंत: वायुमंडलीय मिसाइल वे हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर संचालित होती हैं और 100 किलोमीटर से कम ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेदती हैं।

परीक्षण के पूर्व 10000 से अधिक लोगों को अस्थायी तौर पर हटाया गया था

सुरक्षा कारणों से मिसाइल टेस्टिंग के पूर्व 10 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था। राज्य सरकार ने बालासोर और भद्रक जिलों के मछुआरों को भी समुद्र में न जाने की चेतावनी भी जारी की गई थी, जबकि मोटर बोट में पुलिसकर्मियों को चौबीसों घंटे तट पर गश्त करने के लिए तैनात किया गया था। प्रशासन की मदद से लॉन्चिंग कॉम्प्लेक्स III (आईटीआर) के 3.5 किलोमीटर के दायरे में 10 गांवों से बच्चों और मवेशियों सहित 10,581 लोगों को पास के इलाकों में चक्रवात आश्रयों में स्थानांतरित किया गया।

बता दें, भारत की यह मिसाइल किसी भी दुश्मन मिसाइल को रास्ते में ही गिरा सकती है। 5000 km रेंज वाली मिसाइलों को बड़ी आसानी से मारकर गिरा सकती है। दुश्मन की किसी भी मिसाइल के खिलाफ इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी दिशा से आ रही मिसाइल को भांपकर यह फायर हो जाएंगी, और रास्ते में ही उससे टकराकर उसे नष्ट कर देगी।

Prajatantra Bharat News Desk

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